फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड या Gold ETF – गोल्ड में इन्वेस्टमेंट का सबसे बेहतर रास्ता कौन सा है? कौन सा ऑप्शन आपको महंगा पड़ सकता है और किसमें आपको सबसे अच्छे रिटर्न्स मिलने की संभावना है?
- सबसे पहले बात करते हैं: फिजिकल गोल्ड
- अब आते हैं दूसरे ऑप्शन पर: डिजिटल गोल्ड
- तीसरा और सबसे पावरफुल ऑप्शन: गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF)
- साइड-बाय-साइड कंपेरिजन
- एक उदाहरण से समझिए
- अक्सर पूछा जाने वाला सवाल: मिनिमम इन्वेस्टमेंट कितना?
- मेरी अंतिम राय
- FAQs (Frequently Asked Questions)
- Q1: What is the biggest disadvantage of investing in physical gold?
- Q2: Can I really start investing in digital gold with just ₹1?
- Q3: Why is Gold ETF considered the best for long-term investment?
- Q4: Is a Demat account mandatory for investing in Gold ETFs?
- Q5: Which gold investment option is completely free from GST?
- You can invest in Gold ETF using SIP as well Learn about it here: Stock SIP: The Ultimate Beginner’s Guide to Wealth Building in 2025
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आज, मैं आपके लिए इन सभी सवालों का जवाब क्रिस्टल क्लियर लेकर आई हूं। मैं आपको बताऊंगी कि आपकी इन्वेस्टमेंट के लिए कौन सा रास्ता सबसे ज्यादा सही है। तो चलिए, शुरू करते हैं।
सबसे पहले बात करते हैं: फिजिकल गोल्ड
भारत में सोना सिर्फ इन्वेस्टमेंट नहीं है। यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है, यह हमारे लिए एक इमोशन है। शादी-ब्याह हो, त्यौहार हो या घर का कोई फंक्शन, गोल्ड खरीदना एक ट्रेडिशन है। लेकिन जब आप फिजिकल गोल्ड खरीदते हैं, तो एक्चुअल कॉस्ट सिर्फ गोल्ड की कीमत नहीं होती।
- मेकिंग चार्ज: आपको मेकिंग चार्जेस अलग से देने होते हैं, जो ज्वेलरी में 8% से 20% तक चले जाते हैं। बड़े ज्वेलर्स के यहाँ यह चार्ज 40% तक भी पहुँच जाते हैं।
- जीएसटी: इसके ऊपर 3% जीएसटी अलग से लगता है।
- लॉकर चार्ज: अगर आप गोल्ड बैंक लॉकर में रखते हैं, तो सालाना ₹500 से लेकर ₹3000 तक का लॉकर चार्ज अलग से लगेगा।
- बेचते वक्त नुकसान: सबसे बड़ा पेन पॉइंट बेचते वक्त आता है। ज्वेलर आपसे गहना वापस खरीदते (बाय-बैक) वक्त 2% से 3% कम रेट देता है।
तो, इन्वेस्टमेंट के नजरिए से फिजिकल गोल्ड प्रैक्टिकली कैसा है?
इसका सीधा जवाब है – यह महंगा है। क्योंकि आपको शुरू से ही 10% से 20% वेल्थ कट हो जाता है। मेकिंग चार्ज और जीएसटी का कोई रिटर्न नहीं मिलता। ज्वेलरी पहनने का इमोशनल वैल्यू अलग है, लेकिन प्योर इन्वेस्टमेंट के लिए यह स्मार्ट चॉइस कतई नहीं है।
अब आते हैं दूसरे ऑप्शन पर: डिजिटल गोल्ड
आजकल Paytm, PhonePe, Google Pay, टाटा डिजिटल (तनिष्क) जैसे प्लेटफॉर्म्स पर आप सिर्फ ₹1 से गोल्ड खरीद सकते हैं! जी हाँ, सिर्फ ₹1 से। यह गोल्ड आपके लिए एक सिक्योर वॉल्ट में रखा जाता है। बाद में, जब पर्याप्त मात्रा हो जाए (जैसे 1 ग्राम या 10 ग्राम), तो आप इसे कॉइन, बार के फॉर्म में या फिजिकल डिलीवरी भी ले सकते हैं।
लेकिन, यहाँ भी कुछ हिडन कॉस्ट हैं:
- जीएसटी: हर खरीद पर 3% जीएसटी अलग से देना पड़ता है।
- बाय-सेल स्प्रेड: बाय और सेल प्राइस में 2% से 3% का स्प्रेड होता है। मतलब, आप गोल्ड 2% ज्यादा दाम पर खरीदेंगे और 2% कम दाम पर बेच पाएंगे। अगर आप ₹6000 में खरीद रहे हैं, तो बेचते वक्त कंपनी आपसे ₹5850 ही लेगी।
- स्टोरेज चार्ज: शुरुआत में कई कंपनियां स्टोरेज फ्री देती हैं, लेकिन 5 साल बाद 0.1% से 0.2% का एनुअल स्टोरेज चार्ज लग सकता है।
- फिजिकल डिलीवरी के चार्ज: अगर आप फिजिकल डिलीवरी लेते हैं, तो मिंटिंग, डिलीवरी और मेकिंग चार्जेस फिर से एक्स्ट्रा लगेंगे।
निष्कर्ष: डिजिटल गोल्ड कन्वीनिएंट है और एंट्री बैरियर बहुत लो है। ₹1 से इन्वेस्टमेंट, मोबाइल से इंस्टेंट बाय-सेल। लेकिन, लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए स्प्रेड और चार्जेस आपके रिटर्न्स को खा सकते हैं, यानी यह भी महंगा साबित हो सकता है।
डिजिटल गोल्ड के जरिए ₹1 से भी इन्वेस्टमेंट की शुरुआत कर सकते हैं।
तीसरा और सबसे पावरफुल ऑप्शन: गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF)
Gold ETF गोल्ड ईटीएफ यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड। यह एक ऐसा फंड होता है जो स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होता है। एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) आपके लिए RBI अप्रूव्ड वॉल्ट में गोल्ड रखती है, और आपको डीमैट अकाउंट में Gold ETF गोल्ड ईटीएफ के यूनिट्स मिलते हैं। 1 यूनिट, 1 ग्राम गोल्ड के बराबर होता है।
इसमें क्या खर्चे लगते हैं?
- एक्सपेंस रेशियो: यहाँ मेकिंग चार्ज या जीएसटी नहीं, बल्कि एक्सपेंस रेशियो लगता है, जो 0.04% से लेकर मैक्सिमम 1% तक होता है।
- ब्रोकरेज: बाय-सेल पर आपको ब्रोकरेज देना होता है, जो 0.1% से 0.5% तक या डिस्काउंट ब्रोकर पर फिक्स ₹10-₹20 हो सकता है।
- बिड-आस्क स्प्रेड: बिड (खरीदार की कीमत) और आस्क (बेचने वाले की कीमत) के बीच एक छोटा सा स्प्रेड होता है।
- बड़ी राहत: यहाँ कोई 3% जीएसटी अप-फ्रंट नहीं लगता।
टैक्सेशन:
- 3 साल से पहले बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा, जो आपकी इनकम स्लैब के हिसाब से होगा।
- 3 साल के बाद बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन लगेगा, जो 20% विद इंडेक्सेशन होता है। इंडेक्सेशन की वजह से आपकी इफेक्टिव टैक्स लायबिलिटी काफी कम हो जाती है।
गोल्ड ईटीएफ SEBI रेगुलेटेड होता है, इसलिए यह सबसे ज्यादा ट्रस्टेबल और ट्रांसपेरेंट ऑप्शन है। आप लाइव प्राइस देख सकते हैं, जो फिजिकल गोल्ड में संभव नहीं है। लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए यह सबसे एफिशिएंट ऑप्शन है।
गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं और सबसे ज्यादा ट्रांसपेरेंट ऑप्शन माने जाते हैं।
साइड-बाय-साइड कंपेरिजन
फीचर | फिजिकल गोल्ड | डिजिटल गोल्ड | गोल्ड ईटीएफ |
---|---|---|---|
मुख्य खर्चे | मेकिंग चार्ज, 3% जीएसटी, लॉकर चार्ज, रिसेल कट | 3% जीएसटी, बाय-सेल स्प्रेड, स्टोरेज चार्ज | एक्सपेंस रेशियो, ब्रोकरेज, बिड-आस्क स्प्रेड |
अप-फ्रंट जीएसटी | हाँ ✅ | हाँ ✅ | नहीं ❌ |
मिनिमम इन्वेस्टमेंट | ~₹12,000 (1 ग्राम) | ₹1 से | ~₹100 (1 यूनिट) |
कन्वीनिएंस | कम | बहुत ज्यादा | ज्यादा |
सुरक्षा & रेगुलेशन | अपनी जिम्मेदारी | प्लेटफॉर्म पर निर्भर | SEBI रेगुलेटेड |
बेस्ट फॉर | पहनने, गिफ्ट देने, भावनात्मक जुड़ाव | छोटी-छोटी बचत, शुरुआती इन्वेस्टर्स | लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट |
एक उदाहरण से समझिए
मान लीजिए, आपने ₹1 लाख इन्वेस्ट किए:
- फिजिकल गोल्ड में: 3% जीएसटी और मेकिंग चार्ज मिलाकर आपकी एक्चुअल बाइंग पावर सिर्फ ~₹90,000 की रह जाएगी। बेचते वक्त फिर कटौती होगी।
- डिजिटल गोल्ड में: जीएसटी और स्प्रेड की वजह से आप ~₹97,000 के गोल्ड के मालिक बन पाएंगे। लॉन्ग टर्म में रिटर्न्स 2-3% कम होंगे।
- गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) में: पूरा ₹1 लाख इन्वेस्ट होगा। बस सालाना 0.5% के आसपास का एक्सपेंस रेशियो ऑटो डिडक्ट होगा। 30 साल जैसे लॉन्ग टर्म में, यह छोटा सा चार्ज भी लाखों का फर्क दिखा सकता है।
अक्सर पूछा जाने वाला सवाल: मिनिमम इन्वेस्टमेंट कितना?
- फिजिकल गोल्ड: एंट्री बैरियर सबसे ज्यादा। कम से कम 1 ग्राम (~₹12,000) खरीदना होगा। मेकिंग चार्ज अलग।
- डिजिटल गोल्ड: एंट्री बैरियर सबसे कम। सिर्फ ₹1 से शुरुआत कर सकते हैं। यही इसकी सबसे बड़ी USP है।
- गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF): मिनिमम 1 यूनिट (~₹100) खरीदनी होगी। साथ ही, एक्टिव डीमैट/ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है। आजकल यह आसानी से और कम खर्च में खुल जाता है।
मेरी अंतिम राय
अगर आप सिर्फ और सिर्फ इन्वेस्टमेंट के नजरिए से देख रहे हैं, तो:
- गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) नंबर एक पर आता है।
- उसके बाद डिजिटल गोल्ड आता है।
- और अंत में फिजिकल गोल्ड आता है।
लेकिन, अगर आप गोल्ड को पहनने, गिफ्ट करने या भावनात्मक रूप से जुड़ाव के लिए खरीदना चाहते हैं, तो वह जरूरत सिर्फ और सिर्फ फिजिकल गोल्ड से ही पूरी हो सकती है। गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) लेकर आप उसे गले में नहीं पहन सकते।
भारत में सोने की लोगों के दिलों में एक अलग ही जगह है। आप क्या सोचते हैं? आपके हिसाब से गोल्ड में इन्वेस्टमेंट का सबसे बेहतर तरीका कौन सा है? मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा, मैं आपके विचार जरूर पढूंगी।
FAQs (Frequently Asked Questions)
Q1: What is the biggest disadvantage of investing in physical gold?
The biggest disadvantage is the high upfront cost due to making charges (8-40%) and 3% GST, which leads to an immediate 10-20% loss in your investment value the moment you buy it.
Q2: Can I really start investing in digital gold with just ₹1?
Yes, platforms like Paytm, PhonePe, and Google Pay allow you to start buying digital gold with an investment as low as ₹1, making it highly accessible.
Q3: Why is Gold ETF considered the best for long-term investment?
Gold ETFs are considered best for the long term because they have no upfront GST, very low expense ratios (0.04%-1%), are SEBI-regulated for safety, and offer high transparency with live tracking on the stock exchange.
Q4: Is a Demat account mandatory for investing in Gold ETFs?
Yes, a Demat and trading account is mandatory to buy and sell Gold ETF units on the stock exchange. However, these accounts can be opened online easily and often at a low cost.
Q5: Which gold investment option is completely free from GST?
Gold ETFs are the only option among the three that do not attract any upfront 3% GST at the time of purchase, making them more tax-efficient.