अमीरों की सफलता का राज: लोन का सही उपयोग
आपने यह जरूर सुना होगा कि सफल बिजनेस का आधार लोन से शुरू होता है। चाहे वो सैम वाल्टन हों या धीरूभाई अंबानी, सभी ने अपने बिजनेस की शुरुआत लोन लेकर की थी। दिव्यांग तुरकिया इसका एक और बेहतरीन उदाहरण हैं, जिन्होंने सिर्फ $500 के लोन से शुरुआत की और आज वह 41 साल की उम्र में भारत के सबसे युवा सेल्फ मेड बिलिनियर बन चुके हैं।
गुड लोन और बैड लोन: क्या अंतर है?
आपने कई वीडियो में सुना होगा कि लोन को दो भागों में बांटा जाता है: गुड लोन और बैड लोन। बैड लोन वह होता है जब आप लोन लेकर अपनी इच्छाओं को पूरा करते हैं, जैसे महंगी कार या मोबाइल खरीदना। जबकि गुड लोन वह होता है जो आपके बिजनेस को बढ़ाने या एसेट बनाने में मदद करता है। अमीर लोग इस बात को बहुत अच्छी तरह समझते हैं और इसका उपयोग अपने फायदे के लिए करते हैं।
अमीर और मिडिल क्लास के बीच का फाइनेंशियल अंतर
रॉबर्ट कियोसाकी की किताब “Why the Rich Are Getting Richer” के अनुसार, अमीर और गरीब मानसिकता के बीच सबसे बड़ा अंतर फाइनेंशियल एजुकेशन में होता है। मिडिल क्लास के लोग बड़ी डिग्रियां तो रखते हैं, लेकिन फाइनेंशियल नॉलेज की कमी होती है। वहीं, अमीर लोग, चाहे उनके पास डिग्री हो या न हो, फाइनेंशियल नॉलेज से पूरी तरह लैस होते हैं, क्योंकि उन्होंने बचपन से ही पैसे का सही प्रबंधन सीखा होता है।
टैक्स और फाइनेंशियल स्ट्रेटेजी
अमीर लोग टैक्स को कैसे बचाते हैं, यह जानकर आप हैरान रह जाएंगे। अमीर लोग सबसे पहले कमाते हैं, फिर खर्चा करते हैं, और अंत में जो बचता है उससे टैक्स भरते हैं। वहीं, मिडिल क्लास लोग पहले कमाते हैं, फिर टैक्स भरते हैं, और जो बचता है उससे घर का खर्चा चलाते हैं। यही वजह है कि अमीर लोग अपनी संपत्ति में लगातार वृद्धि करते हैं, जबकि मिडिल क्लास लोग उसी जगह अटके रहते हैं।
फैंटम इनकम: अमीरों की अदृश्य आय
रॉबर्ट कियोसाकी फैंटम इनकम को “इनविजिबल इनकम” भी कहते हैं। यह वह इनकम होती है जो दिखाई नहीं देती, लेकिन होती जरूर है। उदाहरण के लिए, जब एक अमीर व्यक्ति लोन लेकर एक प्रॉपर्टी खरीदता है और टैक्स बचाता है, तो यही फैंटम इनकम होती है। यह इनकम उन लोगों के लिए अदृश्य होती है जो फाइनेंशियल एजुकेशन से वंचित होते हैं।
बूटस्ट्रैपिंग: कम संसाधनों से बड़ा बिजनेस
जब कोई एंटरप्रेन्योर बहुत ही कम संसाधनों से बिजनेस की शुरुआत करता है, तो इसे बूटस्ट्रैपिंग कहा जाता है। यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है, बल्कि यह आपको अपने बजटिंग पर ध्यान देने और अपनी इनकम का सिर्फ 20% निवेश करने की बात सिखाता है।
फाइनेंशियल लिटरेसी: भारत की बड़ी चुनौती और अवसर
यदि फाइनेंशियल लिटरेसी की बात करें तो भारत का रैंकिंग दुनिया के टॉप 28 देशों में 23वें नंबर पर है। इसका मतलब है कि भारत की केवल 27% आबादी फाइनेंशियल एजुकेटेड है। आने वाले समय में, जब वेस्टर्न कंट्रीज स्ट्रगल कर रही होंगी, तब एशियाई देशों में अपार संभावनाएं होंगी। इसलिए, फाइनेंशियल लिटरेसी पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
निष्कर्ष
तो दोस्तों, यह बात स्पष्ट हो गई है कि अमीर और मिडिल क्लास लोगों के बीच का मुख्य अंतर उनकी फाइनेंशियल समझ में है। यदि आप भी इस अंतर को पाटना चाहते हैं, तो आपको फाइनेंशियल एजुकेशन पर ध्यान देना होगा और अपनी स्किल्स को अपग्रेड करना होगा।
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